भारत प्रतिभूति मुद्रण तथा मुद्रा निमार्ण निगम लिमिटेड, हांलाकि एक नया निकाय है, पंरतु जिन इकाइयों के मिलन से इसका उदय हुआ है उनका उदय इस देश में प्रतिभूति मुद्रण और टकसाल के क्षेत्र में एक लंबा और समृद्ध इतिहास रहा है।
18वीं शताब्दी- कोलकाता टकसाल में सिक्कों की ढलाई आरंभ हुई। सन 1790 में इंग्लैंड से आधुनिक मशीन मंगाई गई। इन टकसालों में चांदी, सोने और पीतल के सिक्कों की ढलाई कराई जाती थी।
1918-मुंबई टकसाल को वर्ष 1918 में लंदन शाही टकसाल की शाखा घोषित किए जाने पर ब्रिटेन की स्वर्ण मुद्राएं ढाली गई थी।